हरिद्वार जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश पर स्टोन क्रशरों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की

गंगा के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश के बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। कोर्ट के निर्देश पर रायवाला से भोगपुर के बीच स्थित 48 स्टोन क्रशरों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इसके लिए जिला प्रशासन ने एक विशेष कमेटी गठित कर दी है, जो शुक्रवार से इन क्रशरों पर सीलिंग की कार्रवाई शुरू करेगी। फिलहाल सभी स्टोन क्रशरों के ऑनलाइन पोर्टल बंद कर दिए गए हैं, ताकि कोई भी रॉयल्टी या खनन की प्रक्रिया जारी न रह सके। गठित कमेटी में अपर जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, अधिशासी अभियंता (ऊर्जा निगम), जिला खनन अधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारी शामिल किए गए हैं।मालूम हो कि यह कार्रवाई पर्यावरण और गंगा संरक्षण के लिए संघर्षरत संस्था मातृ सदन की ओर से दायर याचिका के बाद हो रही है। हाईकोर्ट ने गंगा नदी के दोनों ओर स्थित इन 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए हैं। इससे पहले वर्ष 2017 में भी इसी मामले में कार्रवाई के आदेश दिए गए थे, लेकिन स्टे मिलने के चलते कार्रवाई अधर में रह गई थी। अब कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए इन क्रशरों को पूरी तरह बंद करने को कहा है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि शुक्रवार से कार्रवाई शुरू हो जाएगी। खनन पर सख्ती की उम्मीद मातृ सदन और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता लंबे समय से गंगा में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। सामाजिक कार्यकर्ता रत्नमणी भोपाल ने हाईकोर्ट के आदेश पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि प्रशासन की लापरवाही से गंगा का इकोसिस्टम लगातार प्रभावित हो रहा था। अब यदि कोर्ट के आदेश का पालन गंभीरता से होता है तो अवैध खनन पर लगाम लगेगी और गंगा की जैव विविधता को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। अधिकारियों की कार्यशाली पर सवाल उठाए हरिद्वार, संवाददाता। गुरुवार को मातृ सदन में प्रेस वार्ता करते हुए मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद ने बताया कि हाईकोर्ट ने अवैध रूप से गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में संचालित 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है। स्वामी शिवानंद ने सवाल उठाए यह 48 स्टोन क्रशर लंबे समय तक अवैध रूप से कैसे संचालित किए गए। इसमें अधिकारियों की संदिग्ध कार्यशाली की जांच होनी चाहिए। स्वामी शिवानंद ने बताया कि हाईकोर्ट का यह आदेश गंगा रक्षा और पर्यावरण सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बताया कि जब स्वयं उच्च न्यायालय ने तीन मई 2017 को पारित आदेश में स्पष्ट रूप से हरिद्वार में गंगा किनारे संचालित पांच किलोमीटर के भीतर स्थित सभी स्टोन क्रशरों को बंद करने का निर्देश दिया था, और यह आदेश भी केवल मातृसदन द्वारा अवमानना याचिका दायर करने के पश्चात लागू हुआ। जिसके परिणामस्वरूप 24 अगस्त 2017 को एक शासनादेश द्वारा इन 48 स्टोन क्रशरों को बंद किया गया, तो फिर बिना उच्च न्यायालय के किसी और आदेश के इन क्रशरों को कैसे और क्यों पुनः चालू किया गया।
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